Jaisalmer Ka Kila (जैसलमेर का किला), The fort of Rajasthan, The Fort

जैसलमेर का किला (Jaisalmer Ka Kila)

राजस्थान के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित किलों में से एक, त्रिकूटगढ़ या जैसलमेर का किला, भारत के राजस्थान राज्य के जैसलमेर शहर में स्थित है। इसे विश्व के उन कुछ किलों में से एक माना जाता है, जिन्हें 'जीवित किले' कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आज भी किले के भीतर निवास करता है। इसका निर्माण 1156 ईस्वी में रावल जैसल द्वारा किया गया था और यह देश के महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों के चौराहे पर स्थित है।

यह किला त्रिकूट पहाड़ी पर विशाल थार रेगिस्तान के बीच स्थित है। किले की विशाल पीले बलुआ पत्थर की दीवारें दिन के दौरान सुनहरे रंग की होती हैं, जो सूरज के ढलते ही गहरे भूरे रंग में बदल जाती हैं। इस कारण, किला पीले रेगिस्तान में छिप जाता है और इसे 'स्वर्ण दुर्ग', 'सोनार किला' या 'स्वर्ण किला' भी कहा जाता है।

2013 में, राजस्थान के पाँच अन्य किलों के साथ, जैसलमेर के किले को 'राजस्थान के हिल किलों' के समूह के तहत यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया।

ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प विशेषताएं

स्थित शहर व राज्य:
जैसलमेर, राजस्थान

क्षेत्रफल:
1500 फीट × 750 फीट

निर्माता:
रावल जैसल (1156 ईस्वी)

वास्तुशिल्प शैली:
राजपूताना शैली

विशेषताएं:
सुरक्षित, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भाटी राजपूत राजा रावल जैसल (1156 ईस्वी):
जैसलमेर के किले का निर्माण रावल जैसल ने 1156 ईस्वी में किया था। इस किले का निर्माण व्यापार मार्गों की रक्षा के लिए और अपनी सैन्य शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए किया गया था।

मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी (1299 ईस्वी):
1299 ईस्वी में, अलाउद्दीन खिलजी ने इस किले पर आक्रमण किया था। इस समय के दौरान, किले की राजधानी को स्थानांतरित कर दिया गया था।

भाटी शासक रावल लूनकरण (1530-1551 ईस्वी):
रावल लूनकरण ने 1530 से 1551 ईस्वी तक जैसलमेर पर शासन किया और किले के पुनर्निर्माण और विस्तार का काम किया।

मुगल शासन (1551-1762 ईस्वी):
1551 ईस्वी से 1762 ईस्वी तक, जैसलमेर मुगलों के अधीन रहा। इस समय के दौरान, किले की राजधानी को फिर से स्थानांतरित किया गया था।

महारावल मूलराज (1762-1818 ईस्वी):
1762 ईस्वी से 1818 ईस्वी तक, महारावल मूलराज ने जैसलमेर पर शासन किया। 12 दिसम्बर 1818 ईस्वी को उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी से संधि की।

राजा महारावल गज सिंह (1820 ईस्वी):
1820 ईस्वी में, राजा गज सिंह ने जैसलमेर की गद्दी संभाली।

ब्रिटिश शासन (1858 ईस्वी से):
1858 ईस्वी में जैसलमेर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया और 1947 में भारत की स्वतंत्रता तक ब्रिटिश शासन के अधीन रहा।

भारत सरकार (1947-अब तक):
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद से, जैसलमेर का किला भारतीय सरकार के अधीन है।

किले की विशेषताएं

  • भव्य वास्तुकला:
    जैसलमेर किला राजपूताना शैली की भव्यता और शिल्प कौशल का अद्वितीय उदाहरण है। इसके भीतर स्थित महल, हवेलियां, और जैन मंदिर इसे और भी आकर्षक बनाते हैं।

  • सुरक्षित स्थल:
    यह किला अपनी संरचना और निर्माण तकनीक के कारण सुरक्षित माना जाता है।

  • यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल:
    2013 में, इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई।

  • जीवित किला:

    आज भी किले की एक चौथाई आबादी इसके भीतर रहती है, जो इसे जीवित किलों में से एक बनाती है।

निचोड़

जैसलमेर का किला सिर्फ एक ऐतिहासिक धरोहर नहीं है, बल्कि यह राजपूत शौर्य, वास्तुशिल्प कौशल और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इस किले ने समय के साथ-साथ कई आक्रमणों और बदलावों को देखा है, फिर भी यह अपनी भव्यता और महत्ता को बनाए हुए है। इसे देखना एक ऐसा अनुभव है जो अतीत की गौरवमयी कहानियों को जीवंत कर देता है।

            

        

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