JAIGARH KA KILA जयगढ का किला

 जयगढ का किला JAIGARH KA KILA


      वैसे तो राजस्थान राज्य भारत के लिये एक अलग ही मायने रखता है और इस राज्य का भारत के लिये योगदान बहुत ही अविश्वसनीय है और किलों और दुर्गों के मामले में भी भारत की सूची में नवंर एक पर आता है। राजस्थान के अन्य किलों की भॉंति जयगढ के किले की कहानी कुछ वीरगाथाओं को अपने साथ लिये राजस्थान के राज्य और भारत के पिंक सिटी कहे जाने वाले जयपुर से महज 15 किमी की दूरी पर शानदार जयगढ का किला अपने साथ दुनियॉं की सबसे बडी तोप को लिये चील का टीला नामक पहाडों की श्रंखला के शीर्श पर कॉंटों और झाडीदार जंगल पहाडियों के बीचौ-वीच अपने सिर पर जीत का शेहरा बॉंधे हुये इस खुबसूरत और नायाब इमारत को 1726 में सवॉंई जय सिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया था जिसका मुख्य उददे‍श्य पास में बने आमेर के किले को सुरक्षा देना था जिसकी सुरक्षा में एक सुरंग आमेर के किले तक जाती है। विद्यासागर नामक वास्तुकार की विशालतम और अचम्भित करने वाली एवं अदभुत सुन्दरता से लैस यह दुर्ग जयपुर शहर का मुख्य आकर्षण का केन्द्र है।

     जयगढ किला हजारों टन हीरे जवाहरात और सोने एवं चॉदी जेसे बेस कीमती खजाने जैसे कई रहस्य अपने अन्दर दफन किये हुए आज भी बेहद आकर्षक दिखने वाले इस किले के इतिहास मे खास इसकी भव्यता है। और उसका कारण 3 किमी तक लम्बी और 1 मीटर तक चौडी इसकी दीवारें लाल बलुआ पत्थर से निर्मित की गई है। इसके निर्माणखण्डों में मुख्यतः दुनियॉं की सबसे विषाल तोप ‘जयवान तोप’ विषाल महल परिसर, एक संग्रालय, उद्याान, और कोर्ट रूम एवं हाल को विषाल रोषनदानों से सजाया गया है किले का वॉच टॉवर पूरे परिवेश को निहारते हुए आराम मंदिर, राम मदिर ओर झील के मनोहरी दृष्य को हर कोइ अपना मन हार बैठता हैं।     

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