Natural Life Style प्राकृतिक जीवन शैली, प्रकृतिक ऊर्जा का अपने जीवन में सही उपयोग करना सीखेंं

      

1\7- प्राकृतिक जीवन शैली Natural Life Style     

प्राकृतिक जीवन शैली  एक ठोस आधार है हमारे अस्तित्व और इस संसार के स्वार्थहीन व्यवहार का जो अपने दौनों पहलुओं में हमें अपनी गोद में विठाकर लालन और पालन के झूले में झूला झुलाती है जिसकी परवरिस दुनियां की प्रत्येंक माॅंओं के पहले और बाद भी होती है। जिसके आँचल में दुनियाॅं के प्रत्येक जीव के लिये अपार ऊर्जा शक्ति, असीमित धरती, अनन्त ऊॅंचाईयों वाला गगन, अथाह सागर, और अपार आवश्यक तत्वों जैसे आँक्सीजन का कभी न खत्म होने वाला स्त्रोत सदां सदा से अपनी मौजूदगी को उजागर करता रहता है। 


         दूसरा पहलू देखा जाये तो प्रकृति ने अपनी अलौकिक संम्पदाओं  ओर अनेकों नैयमतें दी हैं हमें जो हमारे जीवन के अस्तित्व को संभाले है 

         हम नित प्रति दिन प्रकृति की अनेकों अनेक शक्तिओं का अपने जीवन में उपयोग करते रहते हैं। 

          2\7-प्रकृति के माध्यम से स्वास्थ्य Health Through Nature

प्रकृति अपने आप में एक चिकित्सालय है जो सभी जीव जन्तुओं को खुद व खुद स्वस्थ्य रखती है और उन्हें स्वास्थ्य लाभ होने में सदैव मद्द करती है और उनके अनुकूल वातावरण तैयार करती है 

      प्रकृति हमें वायु, पानी, धरती, आकाश, और अग्नि से बेसक निर्मित करती है इन तत्वों का सन्तुलन ही हमारा स्वस्थ्य जीवन है प्रकृति अपने आठों पहरों में हमारे स्वास्थ्य के लिये कुछ अलग ढंग से अपने आप को सुसज्जित किये हुए है जिनका लाभ हम उसके बारे में जानकारी रखकर ही ले सकते हैं जैसे ब्रहम मुहुर्त के समयकाल में हमें अपनी दैनिक क्रियायेंं समाप्त कर स्नानकर मैडिटेषन के लिये समय देना चाहिए जो हमारे लम्बे, सुखी और आनन्दमय जीवन के लिये बहुत ही लाभकारी होता है

3\7- प्राकृतिक खानपान Natural Food

        हमारी जीवन शैली में हमारे खानपान का बहुत ही महत्व है जिसका खयाल प्रकृति ने भी बखूबी रखा है जिसका जीवंत उदाहरण प्रकृति के नायाब फल, दालें, तिलहन, मेंवे इत्यादि इत्यादि खाद्य पदार्थों का होना है।

       इन सब के अतिरिक्त भी प्रकृति ने इनके सेवन के लिये सही मौसम, सही समय, और सही तरीका भी इजात किया है जिसके अनुसार हम अपने खाने को लजीज और स्वास्थ्यवर्धक बना सकते हैं।

4\7प्राकृतिक चिकित्सा

        जैसा कि इस लेख में पहले भी लिखा जा चुका है कि प्रकृति खुद अपने आप में चिकित्सालय है जो हमारे जाने अनजाने में भी हमारी कुशल चिकित्सा करती रहती है बसर्ते उसके लिये हमे प्रकृति का एक सच्चे मित्र की तरह साथ देते रहना होगा ।


       प्रकृति स्वयं हमारे इर्द-गिर्द मौजूद प्रत्येक तत्व हवा, अणु, परमाणु के किसी न किसी रूप में हमारी चिकित्सा करती रहती है और इसी के चलते वह खुद अपने आप को भी नियमित परिवर्तित करती रहती है।

       अगर बात स्पर्ष की की जाये तो कुछ लोग तो जमीन पर नंगे पैर दौडते हैं और जमीन को स्पर्ष कर अपने आप को प्रकृति से सीधा जोडकर चिकित्सा का लाभ लेते हैं तो कोई अपने आप को खोजने के उद्देष्य से मैडिटेषन करके षरीर के समस्त विकारों को सही करके स्वास्थ्य लाभ लेते हैं।

5\7- प्राकृतिक सौन्दर्य Natural Beauty

       प्राकृतिक सौन्दर्य की तो कुछ भी बात करें तो उस परमपिता परमेष्वर के होने का एहसास हमें प्रकृति के कण-कण में महषूष होता है। ठीक इसी प्रकार प्राकृतिक सौन्दर्य को ईष्वर ने अपनी सारी खूबियाॅं देकर बहुत ही सुन्दर बनाया है धरती पर ,ऊॅचे-ऊॅवे पर्वत गहरी और लम्बी कल-कल बहतीं नदियाॅं विभिन्न प्रकार की औशधि, पेड, पौधे, ओझल होने तक देखने वाली रोषनी में झॅूमता हुआ सागर, और आष्चर्यचकित कर देने वाला नीला आकाष जिसमें करोडों सितारे जो मानो पल-पल टिमटिमाकर हम पृथ्वी पर रहने वालों को कोई प्यारा सा संदेषे दे रहे हों।

   6\7 योगा Yoga

       सही मायने में प्रकृति की नैयमतों का आनन्द तो प्रकृति के योग साधन से ही मिलता हैं प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति के इस प्राकृतिक आयाम का लुप्त अवष्य लेना चाहिए


        लोगों को चाहिए कि वह योग साधन अवष्य करें जिससे वह बहुत ही लम्बे समय तक स्वस्थ्य रह सके और प्रकति के प्रत्येक पहलू से रूबरू हो सके प्रकृति की सर्वाेच्च साधना ही योग है जिसके बल पर मनुश्य अपने आप को खुद खुदा के अनुरूप पाता है इसी योग विद्या को अपनाकर लोग संत और महापुरूश की उपाधि प्राप्त कर


 युगों-युगान्तरों तक इस ब्रहमाण्ड के परिवेष के संचालक बने रहने का गौरव प्राप्त करते हैं 

  7\7 प्राकृतिक संगीत Natural Music

       अगर गौर से सुनंे तो मानो प्रकृति अपने स्वरों से एक राग पिरोकर हमारे कानों को एक माला के रूप में देती रहती हैं जिसे प्रकृति अपने होने के एहसास को दुहराती रहती है। 

      वैसे तो इस कायनात की प्रत्येक वस्तु में अपार संगीत भरा हुआ हैं जिसे समझने और सुनने के लिये एक योगी और फिर एक साधक बनना होगा समान्यतः कल-कल बहती नदियाॅं, करलव करतीं पक्षी और घटायें, ठण्डी-ठण्डी मधुर स्वरों में बहती हुई हवायें, वर्शा के पानी में स्वरांे के गीत गाती छोटी-छोटी बॅूंदें और ढोल के समान गडगडाती कोंधती विजली इन सब में प्रकृति का मधुर संगीत है जिसका आनन्द प्राप्त कर मन प्रफुल्लित होने लगता है।





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